गजल
"बिउ कुईयो" "काफल पाक्यो" त्यो गीत सम्झिए।
खाने आसले छोड्या त्यो अतित सम्झिए।१।
भालेको डाक देखी सुर्यास्त सम्मको पसिना।
अर्कैले आई खोसेको त्यो रमित सम्झिए।२।
मुल एउटै नेपाली हो विस्व भरी हरे।
लुटिनु र खेदाईनु नै रित सम्झिए।३।
रगतको खोलो बग्यो बाच्न हम्मे हम्मे हुदा।
जेथो मेथो छोडी भाग्नु नै हित सम्झिए।४।
गोविन्द फुयाल
NICE
ReplyDeleteTyo bela ko paristithi
ReplyDeleteTyo bela ko paristithi..
ReplyDeleteTyo bela ko paristithi
ReplyDeleteTyo bela ko paristithi...
ReplyDeleteTyo bela ko paristithi...
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